मेरठ में चुने गए पार्षदों के अनोखे किस्से : कोई PHD तो किसी ने नहीं देखा स्कूल का दरवाजा, हैरान कर देगी रिपोर्ट

मेरठ मेरठ में निकाय चुनाव की मतगणना में जीत हासिल करने के बाद अब महानगर की सरकार अनपढ़ से लेकर पीएचडी धारकों के हवाले हो गई है। हैरानी की बात यह है कि मेरठ जैसे महानगर के 90 वार्डों में मात्र एक महिला पार्षद ऐसी है जो पढ़ाई के उच्च पायदान यानी पीएचडी तक पहुंची है। जबकि नौ नवनिर्वाचित पार्षद ऐसे हैं, जिन्होंने कभी स्कूल का दरवाजा तक नहीं देखा। यानी कि उन्हें क,ख,ग का कोई ज्ञान नहीं है। 

बताया गया कि केवल 12 पार्षद ही ऐसे हैं जो पोस्ट ग्रेजुएट की श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा कुछ पांचवीं पास है तो कुछ दसवीं तक पढ़े-लिखे हैं।

दरअसल, राजनीतिक दृष्टि से मेरठ की अपनी छाप है। कोई भी चुनाव हो यहां की मिश्रित आबादी वाली जनता नेताओं को फर्श से लेकर अर्श तक पहुंचा देती है। हर शहर की जनता भी चाहती है कि उन्हें पढ़े-लिखे और विकास कराने वाले प्रतिनिधि मिले, लेकिन इस बार के चुनाव में जीत हासिल करने वाले 90 पार्षदों पर नजर डालें तो पढ़ाई के मामले में सभी तरह के प्रतिनिधि शामिल है। जिसमें पढ़े-लिखे तो हैं, लेकिन अनपढ़ों की संख्या भी कुछ कम नहीं है। जिन्होंने चुनाव में जीत तो हासिल कर ली, लेकिन वह जनता के वादों पर कितना खरा उतरेंगे यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।
ऐसे समझे साक्षरता का ज्ञान
पीएचडी : 1
पोस्ट ग्रेजुएट : 12
ग्रेजुएट : 19
इंटर : 13
हाईस्कूल : 10
आठवीं : 13
पांचवीं : 7
अनपढ़ : 9
नोट : इसके अलावा कई ऐसे भी पार्षद हैं, जिनकी शैक्षणिक योग्यता सार्वजनिक नहीं है।
कम पढ़े-लिखों में पुरुषों की संख्या अधिक
अक्सर माना जाता है कि राजनीति करने के लिए पति अपनी कम पढ़ी-लिखी पत्नियों को भी मैदान में उतार देते हैं, जो उनकी जीत के बाद खुद राजनीति करते हैं, लेकिन नवनिर्वाचित पार्षदों में इस बार कम पढ़े-लिखे पुरुषों की संख्या अधिक है। 
खास बात यह है कि नवनिर्वाचित 20 पार्षद तो ऐसे भी हैं जो मात्र आठवीं तक पढ़े हैं। इसमें महिला और पुरुष दोनों ही शामिल है। कुल मिलाकर यह है कि मेरठ जैसे महानगर को इस बार पढ़े-लिखे और अनपढ़ों की मिली-जुली सरकार बनी है। जिन पर मेरठ के विकास का जिम्मा है।

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